ताज ट्रिपेजियम जोन (टीटीजेड) की बंदिशों ने पेठा कारोबार में बेड़ियां डाल दीं। कोयले का प्रयोग बंद हो गया और वैकल्पिक तलाश शुरू हो चुकी है । प्राचीन काल से पेठा कारोबार काफी समस्याओ का सामना कर रहा है दुनियाभर में पेठा काफी मशहूर है । और इसकी सप्लाई भी देश विदेश तक होती है सुविधा व संसाधनों के न होने की वजह से ये योजना धाराशाही होती नज़र आ रही है । सुप्रीम कोर्ट ने विस्थापित इकाइयों को गैस से संचालित करने के लिए सब्सिडी पर गैस उपलब्ध कराने को कहा था, जिससे आगरा का पेठा उद्योग आज भी वंचित है। इस कारण दर्जनों पेठा उद्योग इकाईयां दूसरे राज्यों जैसे हरियाणा, पंजाव, राजस्थान सहित अन्य राज्यों में पलायन कर गई। वही कुछ छोटी इकाइयां काम संसाधनों और सहयोग के अभाव में कार्य कर रहे हैं।
पेठा कृषि संबंधी कुटीर उद्योग है। आज के समय में इस उद्योग को सहायता की काफी ज़रुरत है जानकारी की अनुसार पेठा उद्योग व्यापारी की भी मांग है की पेठा पर लगने वाले टैक्स हटाया जाना चाहिए। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने ताज ट्रिपेजियम जोन के कारण प्रभावित सभी औद्योगिक इकाईयों को सब्सिडी गैस देने की बात कही थी। इसमें पेठा उद्योग भी सम्मिलित किया जाना चाहिए।
पेठा में गुणों की भरमार है मुगलकालीन से यह अपने स्वाद, गुणाें से पहचान बना चुका है। आगरा का पेठा व्यापार को बजट से राहत की उम्मीद है। शहर में 450 से अधिक पेठा इकाई है, जिनको इसका लाभ मिलना चाहिए।
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